उपन्यांसकार भीष्म साहनी: अधुनातन परीप्रेक्ष्य में एक अध्ययन
Volume : I Issue : XII August-2015
चंदू खंदारे
ArticleID : 143
Download Article
Abstract :

विचारधारा और साहित्य सदा एक दूसरे के लिए अपरिहार्य रहे हैं। विचारधारा साहित्य की रीढ है तथा साहित्य विचारधारा का आत्मबल। विचारविहीन साहित्य सामान्य जनता के जीवन में अपना स्थान नहीं बना सकता, उसी प्रकार आत्मबलविहीन विचारधारा भी सामान्य जनता का बौधिक हथियार नहीं बन सकता। विचारधारा और साहित्य दोनों के मेल से जो साहित्य रचित होता है वही जनसाधारण के मन का सामथ्र्य रखता है। इस प्रकार विचारधारा में सामाजिक परिवर्तन लाने की क्षमता होती है।

Keywords :
References :

Recent Articles

Read More >>

Publication Place

Shri Ashok Shivaji Ekaldevi
Sr No 33/8/6 Wadgaon,
BK FL At No10,
Dnyanesh Apart
Pune - 411041
Mob : +91-9422460023
Email : g.sanjayjee@gmail.com