संत साहित्य की प्रासंगिकता
Volume : I Issue : VIII April-2015
घाडगे काकासाहेब भानुदास
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ArticleID : 92
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आज सारे संसार में हिंसा, घृणा, अहंकार, जातीय वैमनस्य, द्वेष भरा है | इससे बहुत से परिवार टूट चुके हैं | दीन-दुखियों के आक्रोश से आसमान गुंज रहा है | चरों तरफ अमानवीयता दिखायी देती है | संस्कृति, सभ्यता, नैतिकता का ऱ्हास्य हो रहा है | जातिधर्म के नाम पर म

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