भारतीय इतिहास में मराठों को कभी ऐसा यश प्राप्त नहीं हुआ था, जितना अटक के उस पार पहुँचने एवं पानीपत की रणभूमि में। यहाँ दक्षिण के वीर स्वाहा हो गये। सुंगधित पुष्प नष्ट हो गये, ऐसे शत्रु से लड़ते हुए जो उनके देश और धर्म का विरोधी था।