Abstract : कथाकर भगवानदास मोरवाल ने अपने साहित्य में विभिन्न पहलुओं को स्थान दिया है। ठीक उसी तरह मुस्लिम समाज को भी स्थान दिया है। सिर्फ मुस्लिम समाज के बारे में ही अपनी बात नहीं कही है वरन् मुस्लिम समाज की परम्परा जो बरसो से चली आ रही है और आज किस रूप में हमारे देश में नजर आती है। इन सारी बातों को अपने साहित्य के माध्यम से प्रस्तुत किया है।