नागार्जुन को प्रगतिशील काव्यधारा का आधार कवि माना जाता है| वे हिन्दी साहित्य की सबसे अमुल्य निधि है| उनकी पैठ ऊँची अटटालिकाओ से दूर दराज बसे गाँवो की चॉपालो और झोपडियो तक रही| नागार्जुन ने जीवन को उसके विविध रुपों में जटिल.,,,,