वर्तमान परिप्रेक्ष्य में योग की महत्ता
Volume : III Issue : I September-2016
डाॅ. रेनू चौहान
ArticleID : 282
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‘सिद्धयसिद्धयो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्यते।’ अर्थात - दुख-सुख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वंद्वों में सर्वत्र समभाव रखना योग है।

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