Abstract : जब उन्हें एक बार सही सन्दभों में जान लिया जाता है तो कविता की अर्थ प्रक्रिया खुलने लगती है। चंद्रकांत देवताले के बिम्बों के विषय में भी यही बात पूर्णरुप से घटित होती है। उनके बिम्ब ही उनके अर्थ के स्त्रोत है। उन्हें बिना जाने चंद्रकांत देवताले की कविता सिर्फ 'स्वप्न की रचना' लगेगी। इसलिए उनके काल में जो बिम्ब आए है उन पर विचार करना जरुरी है। परंतु उससे पहले बिम्ब के बारे में थोडी चर्चा करना जरुरी है।